देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।। If your download hyperlink delivered from the submit (सम्पूर्ण शिव चालीसा वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ पूजन रामचंद्र https://shivchalisas.com